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Dushyant Kumar

 हो गई है पीर पर्वत - सी पिघलनी चाहिए ,  इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए ।  हर सड़क पर , हर गली में , हर नगर , हर गाँव में ,  हाथ लहराते हुए , हर लाश चलनी चाहिए ।  आज यह दीवार , पर्दों की तरह हिलने लगी ,  शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए ।  सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं ,  मेरी कोशिश है कि यह सूरत बदलनी चाहिए । मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही ,  हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए ।             

DIET JANJGIR (Picture) Year :- 2020-2022

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